आजादी
क्यों आजादी मांगते हो ?
क्या छीन सकते अधिकार नहीं ?
क्यों दलित दलित कहलाते हो ?
क्या तुम भी सकते मार नहीं ?
सक्षम हो, बलशाली हो !
क्यों झुकना कर्म तुम्हारे हैं ?
वह क्यों ऊंचे पर बैठे हैं ?
क्या वही पालन हारे हैं ?
जड़ हो तुम वह पात समान ।
जब चाहो तब झड़ जाएंगे ।।
यदि तुम देना बंद करो ।
वह भीख मांगने आएंगे ।।
दलित दलित कहलाते हो ।
क्यों दलित मानते अपने को ?
बलशाली तुम बलशाली हो ।
साकार करो खुद सपने को ।।
श्रेष्ठ सहायसी सच्चे हो ।
फिर क्यों किसके सहारे बने हुए?
वे तुम्हारे ही आश्रित हैं ।
जो खड़े हुए हैं तने हुए ।।
अब जागो तुम श्रंगार करो ।
अब दलित नहीं कहलाओगे ।
क्यों भीम मसीहा बन कर आएं ?
क्या खुद नहीं बन पाओगे ?
*संपादक सुसीम शास्त्री*
जय भारत,
जय भीम,
जय संविधान ।।।