थैंक्स सो मच माही उन दो शब्दों के लिए (Definitely Not)

वत्सल वर्मा, कानपुर : आखिरकार चेन्नई सुपर किंग्स का सफर आईपीएल में खत्म हो गया उन्होंने आखरी मैच में पंजाब की टीम को 9 विकेट से करारी हार देकर यह भी बता दिया कि आखिर वह इतने साल से चैंपियन क्यों हैं और किस तरह का खेल खेलते हैं. मेरा दुख कुछ दिनों से काफी बढ़ा हुआ था ये दुख इसलिए नहीं था कि आईपीएल खत्म हो रहा है या चेन्नई इस सीजन में बुरी तरह फ्लॉप हुई है, मेरा दुख बस इस बात को लेकर था कि अब जब नीली जर्सी से महेंद्र सिंह धोनी रिटायर हो चुके हैं तो उन्हें देखना बहुत दुर्लभ हो जाता है और अगर येलो  जर्सी से भी वह रिटायर हो गए तो शायद ही कभी उन्हें क्रिकेट के मैदान में देखा जाए पर जब उनसे पंजाब के मैच के पूर्व इस बारे में पूछा गया कि क्या यह येलो जर्सी में आपका आखरी गेम होगा तो उन्होंने केवल 2  शब्द बोले कि डेफिनेटली नाट (Definitely Not) यह दो शब्द चेन्नई सुपर किंग्स के समर्थकों और माही के फैंस के लिए बहुत बड़ी खुशी पल थे मुझे कभी भी उन तीन शब्दों को सुनकर इतना अच्छा नहीं लगा जितना कल धोनी सर के दो शब्द “डेफिनेटली नाट” सुनकर लगा. अपने देश की या कह लीजिए मानव प्रजाति की ही या मानसिकता होती है कि वह केवल वर्तमान में क्या हो रहा उसी को देखता है कई लोग भी और बड़े-बड़े महापुरुष भी यही कह गए हैं कि हमें केवल अपने वर्तमान पर फोकस करना चाहिए और भूतकाल में की हुई गलतियों से सबक लेते हुए अपने भविष्य का निर्माण करना चाहिए पर यहां यह कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि हम वर्तमान में बुरी तरह से असफल होते हैं हमें उस समय अपने भूतकाल में या पास्ट में किए हुए अच्छे कामों या जो बहुत अच्छे क्षण बीते हो उनको याद करना चाहिए. मेरे ख्याल में इससे किसी भी व्यक्ति विशेष को आत्मविश्वास मिलता है. धोनी ने इतने आत्मविश्वास से यह कहा कि वह अगले सीजन भी खेलेंगे यह इसीलिए भी है क्योंकि चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक, मैनेजमेंट और सपोर्टिंग स्टाफ उन पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाता उनको हमेशा पूरी तरह से फ्री रखता है कि वह कुछ भी अपने हिसाब से कर सकते हैं और इसका रिजल्ट भी उन्हें मिला है कि चेन्नई ही ऐसी टीम है जिसने आईपीएल के शुरू से ही महेंद्र सिंह धोनी को कभी नहीं छोड़ा और धोनी ने भी उनके लिए अपना सर्वोच्च किया धोनी ने 3 बार आईपीएल ट्रॉफी 8 बार फाइनल खेला, 10 बार प्ले ऑफ में जगह बनाई और 2 चैंपियन लीग उनके लिए जीते हैं जबकि 2016 और 2017 में चेन्नई सुपर किंग्स बैन के कारण खेल भी नहीं पाए थे फिर भी माही ने कम बैक करते हुए 2018 में चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल विजेता बनाया. ये कहीं ना कहीं चेन्नई सुपर किंग्स और धोनी के बीच विश्वसनीय रिश्ते का ही प्रमाण है कि चेन्नई सुपर किंग्स के मालिकों और टीम मैनेजमेंट को अच्छे से पता है कि धोनी ने उनके लिए बहुत किया है एक सीजन खराब होने से धोनी को कभी क्रिटिसाइज या दबाव नहीं डालेंगे. यह एक बहुत अच्छी बात है और ऐसे महान खिलाड़ी को और कप्तान को ऐसा सम्मान मिलना ही चाहिए पर यह चीज बीसीसीआई ने नहीं की उन्होंने धोनी पर कहीं ना कहीं दबाव बनाकर ही रखा हुआ था जो उन्होंने 2014 में टेस्ट कैप्टन से संन्यास और खिलाड़ी के रूप में भी पूर्ण संयास ले लिया और उसके बाद 2017 में वनडे से भी सन्यास टीम की कमान छोड़ने का फैसला कर लिया. ये कहीं ना कहीं देश की जनता और मीडिया का दबाव था जो उन्होंने इस तरह का फैसले लिए और अभी हाल में ही उन्होंने नीली जर्सी से भी हमेशा के लिए संन्यास की घोषणा कर दी जबकि मुझे नहीं लगता कि वह खेलना नहीं चाहते थे उनमें अभी बहुत क्रिकेट बाकी है और वह अभी भी दूसरे यंगस्टर्स से बहुत फिट हैं फिर इस तरह का दबाव किसी महान खिलाड़ी और कप्तान पर होना बहुत खराब लगता है. लोग यह भूल जाते हैं की उन्होंने टीम के लिए क्या-क्या किया 2007 से लेकर 2017 तक जब तक टीम की कमान संभाली तब तक टीम को टॉप पर रखा और विश्व क्रिकेट में अपनी धाक जमा कर रखी. वह तो सबको पता है कि धोनी इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी अपने नाम की हैं. इसके अलावा भी उन्होंने 2009-10  में टेस्ट में भारतीय टीम को नंबर 1 पोजीशन पर बनाए रखा और उनकी ही कप्तानी में पहली बार आस्ट्रेलिया को 4 - 0 से हराकर क्लीन स्वीप किया और उन्होंने कई अहम मौकों पर टीम को जीत दिलाई. इंडिया क्या विदेशों में भी कई खिलाडियों का सपना होता है कि एक बार महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेलने का मौका मिल जाए. धोनी ने ना केवल कप्तानी में बल्कि बल्लेबाजी क्रम में भी भारतीय टीम को एक नई मजबूती प्रदान की थी. उनकी गजब की फिनिशर की भूमिका तो विश्व विख्यात है और लोगों को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अब तक जितने भी बल्लेबाजों ने 10,000  रन का आंकड़ा पार किया है उन्होंने बल्लेबाजी एक दो या तीन नंबर पर ही मुख्यता की होती है पर धोनी ही ऐसे निस्वार्थ क्रिकेटर हैं जिन्होंने अपने को कप्तानी में भी हमेशा ज्यादा से ज्यादा युवाओं को मौका दिए और अपने को नंबर 6 नंबर 7 पर ही ज्यादा खेलने का मौका दिया इसके बावजूद भी नंबर 6 और 7 पर बैटिंग करने ते हुए उन्होंने 10000 रनों का आंकड़ा पार किया. वो विश्व क्रिकेट के ऐसे इकलौते क्रिकेटर हैं जिन्होंने नंबर 7 पर बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान के विरुद्ध 113 रन की पारी खेली थी. हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जब तक महेंद्र सिंह धोनी भारतीय टीम में नहीं आए थे कोई भी विकेटकीपर बल्लेबाज भारतीय टीम में सेट नहीं हो पा रहा था या यह कह लीजिए कि कोई भी ऐसा विकेटकीपर नहीं मिल पा रहा था जो पूर्ण रूप से बल्लेबाज भी हो हमेशा से जब भी भारतीय टीम को देखता था तो लगता था कि हमारे ही देश में कोई ऐसा विकेटकीपर क्यों नहीं है जो संगकारा और गिलक्रिस्ट जैसा हो जो विकेटकीपिंग भी करता हो और अच्छी बल्लेबाजी भी पर धोनी ने टीम में आते ही आज संगकारा और गिलक्रिस्ट को भी बहुत पीछे छोड़ दिया. आजकल सोशल मीडिया का ट्रेंड बहुत ज्यादा बढ़ गया है उसके बहुत ज्यादा नुकसान भी हो रहे हैं अब लोग अपनी अभिव्यक्ति जरा सी बात पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पोस्ट डाल कर करने लगे हैं. एक मैच हारने पर ही किसी विशेष खिलाड़ी और टीम को ट्रोल करने लगते हैं. मेरे ख्याल से यह बहुत गलत है जो लोग क्रिकेट की एबीसीडी भी नहीं जानते वह भी महेंद्र सिंह धोनी जैसे महान खिलाड़ी और कप्तान को सीख देने लगते हैं और उन्हें कप्तानी से हटने और ना जाने कितनी भद्दी टिप्पणी करने लगते हैं इतना सब करने के बावजूद भी महेंद्र सिंह धोनी को अगर कुछ बुरा भला सुनना पड़े तो या देश की जनता का ही अहित है. धोनी सर को जितनी इज्जत शायद भारत में नहीं मिलती उससे ज्यादा इज्जत उन्हें विदेशों में मिलती है कुछ समय पहले नासिर हुसैन जो इंग्लैंड टीम के पूर्व कप्तान और क्रिकेटर रहे हैं उन्होंने कहा था कि हमें किसी भी तरह से महेंद्र सिंह धोनी जैसे प्लेयर पर सन्यास का दबाव नहीं बनाना चाहिए क्योंकि अगर वो एक बार वह सन्यास ले कर क्रिकेट को अलविदा कह गए तो उन्हें देखना बहुत दुर्लभ हो जाएगा पर हमारे देश की मीडिया और जनता को यह सब समझ में नहीं आता वह भूल जाते हैं की धोनी ने इस देश की क्रिकेट के लिए क्या-क्या किया और कितने त्याग और बलिदान भी दिए. उनके नीली जर्सी से रिटायर होने के बाद यह कयास और लगाया जाने लगा था कि अब वो चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी से भी संन्यास ले लेंगे पर जब उन्होंने अगले सीजन भी खेलने की बात की तो लगा वह क्रिकेट से कितना प्यार करते हैं और कहीं ना कहीं वह क्रिकेट खेलने से कभी भी अलग नहीं होना चाहते और एक चीज भी साफ हो गई कि उन्होंने भारतीय टीम से जो सन्यास लिया वह भी कहीं ना कहीं किसी दबाव का नतीजा था.


 


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